
इस अलौलिक लीला का साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालु बरसाने का पावन धरा पर आए। सुबह से ही लोगों ने बरसाने में डेरा डाल लिया। हर कोई होली की मस्ती में झूमता नजर आया। मथुरा के एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर भी लठामार होली देखने पहुंचे।होली पर परंपरा, आस्था और भक्ति के रंग में पूरा ब्रज डूबा हुआ है। बुधवार को बरसाना में सदियों पुरानी लीला एक बार फिर जीवंत हो उठी। लठामार होली खेलने के लिए कान्हा के नंदगांव से हुरियारे राधारानी के गांव बरसाना आए। बरसाना की हुरियारिनों ने प्रेम से पगी लाठियों उन पर बरसाईं तो अबीर गुलाल के साथ रंगों की बरसात होने लगी। खुद देवराज इंद्र भी इस पल के गवाह बनने को आतुर दिखे और कान्हा की नगरी में बारिश हुई। श्रीजी मंदिर से लेकर बरसाना की गलियां रंगों से सराबोर हो गईं। दिव्य और भव्य लठमार होली को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु आए। तस्वीरों में देखिए इस अद्भुत होली के अनोखे रंग…बरसाना में लठामार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। यह होली बहुत ही शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि बरसाने की महिलाओं की लाठी जिसके सिर पर छू जाए, वो सौभाग्यशाली माना जाता है। लठामार होली से एक दिन पहले बरसाना में लड्डू होली खेली गई। बरसाना से होली का निमंत्रण मिलने के बाद नंदगांव के हुरियारों ने रातभर बरसाना की होली के लिए तैयारी की। कान्हा के सखा माने जाने वाले नंदगांव के हुरियारे बुधवार सुबह नंदभवन में एकत्रित हुए। पद गाकर उनसे होली खेलने साथ चलने को कहा। नंदगांव के हुरियारे ‘चलौ बरसाने में खेलें होरी’ पद गाते हुए श्रीकृष्ण स्वरूप पताका को साथ लेकर होकर बरसाना के लिए निकले। बरसाना की हुरियारिनों के लाठियों से बचने के लिए ढाल उनकी हाथों में थी। धोती, बगलबंदी, पीतांबरी से सुसज्जित हुरियारे रंग गुलाल उड़ाते ही पैदल बरसाना धाम पहुंचे।इस अलौलिक लीला का साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालु बरसाने का पावन धरा पर आए। सुबह से ही लोगों ने बरसाने में डेरा डाल लिया। हर कोई होली की मस्ती में झूमता नजर आया। मथुरा के एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर भी लठामार होली देखने पहुंचे।
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