
लंबी कानूनी लड़ाई और इंतजार के बाद आखिरकार वो घड़ी आ ही गई जब निर्भया के चारों गुनहगारों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. साढ़े सात साल बाद निर्भया को इंसाफ मिला. इस बीच निर्भया के माता-पिता ने 20 मार्च को निर्भया दिवस के रूप में मनाने की बात कही.


नई दिल्ली, 20 मार्च 2020, अपडेटेड 07:26 IST
- निर्भया के गुनहगारों को आज सुबह फांसी दी गई
- शवों पर परिजनों ने अब तक नहीं किया दावा
निर्भया के चारों गुनहगारों को आज शुक्रवार सुबह 5.30 बजे फांसी दे दी गई. चारों की लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. इस बीच तिहाड़ प्रशासन ने चारों दोषियों के परिवारवालों से शव लेने के लिए कहा है.
हालांकि, अभी तक चारों गुनहगारों के परिवार की ओर से कोई दावा नहीं किया गया है. ऐसे में अब चारों लाशों का अंतिम संस्कार तिहाड़ प्रशासन ही करा सकता है. जिस जेल नंबर तीन में चारों को फांसी दी गई है, वहीं चारों का अंतिम संस्कार किया जा सकता है.
कपड़े और सामान परिजनों को सौंपेगा जेल
इस बीच फांसी पर लटकाए जाने से पहले निर्भया के चारों दोषियों ने अपनी कोई अंतिम इच्छा जाहिर नहीं की थी. तिहाड़ जेल प्रशासन का कहना है कि दोषियों की ओर से जेल में कमाए गए पैसे को उनके परिजनों को दिया जाएगा. इसके अलावा उनके कपड़े और सभी सामान भी परिजनों को दिए जाएंगे.
तिहाड़ जेल के फांसी घर में आज शुक्रवार सुबह ठीक 5.30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दी गई. निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया और अब इनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाएगा.
निर्भया दिवस के रूप में मनाने का ऐलान
सात साल 3 महीने और तीन दिन पहले यानी 16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी दिल्ली में हुई इस वीभत्स घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. सड़कों पर लोगों का सैलाब इंसाफ मांगने के लिए निकला था और लगातार प्रदर्शन होते रहे.
निर्भया की मां आशा देवी ने लंबे समय तक इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी, आज जब दोषियों को फांसी दी गई तो उन्होंने ऐलान किया कि 20 मार्च को वह निर्भया दिवस के रूप में मनाएंगी. उनका कहना है कि वह अब देश की दूसरी बेटियों के लिए लड़ाई लड़ेंगी.
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