
धीरज कुमार दीक्षित/ नई दिल्ली
(एडिटर इन चीफ)
बढ़ते आकड़े बता रहे है आने वाले समय में देश में सभी होंगे कोरोना संक्रमित,बचेंगे वही जिनका होगा वाइट ब्लड सेल्स मजबूत,गौर करने की बात यह है की कोरोना से जिनकी जिनकी मौत हुयी है ऐसा नहीं की केवल कोरोना ने ही उनकी जान ली है उनके साथ उनकी और भी मेडिकल हिस्ट्री रही है इस वायरस से मरने वालों की औसत उम्र 73 साल है । मृतकों में सबसे उम्रदराज शख्स 89 साल का था जबकि सबसे कम उम्र के लिहाज से 48 साल के व्यक्ति की मौत हुयी।
समय आ गया है अब एकदम अलर्ट होकर चलने का लेकिन करे भी तो करे क्या, कितना बचे कहाँ से बचे किन लोगो से बचे और यदि हम हम सही है लेकिन सामने वाला संक्रमित है तब ऐसे मामलो में खतरा और बढ़ जाता है इस प्रकार का प्रश्न लोगो के जहन में उठाना स्वाभाविक है और ८ जून से अगला अनलॉक फेज खुलने जा रहा है लोगो की मूवमेंट अब धीरे धीरे पटरी पर उतरने को तैयार हो रही है आकड़े लगातर बढ़ते नजर आ रहे है सरकार के इतना समझाने के बावजूद भी लोग समझने को तैयार नहीं, तो इतना समझ के रखिए वो दिन ज्यादा दूर नहीं जब आने वाले दिनों में देश का हर व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हो सकता है ,समाज का हर वो तबका जो कोरोना महामारी से बचने के तरीको को हलके में ले रहे है समझ लीजिये वे लोग स्वस्थ देश के भविष्य को खतरे में डालने का जोखिम लगातार उठा रहे है आइये एक नजर डालते है भयावय स्थिति होने पर क्या होगी भारत की स्थिति………………..
भारत के कुल २९ राज्यों में मेडिकल कॉलेजेस ,सरकारी, सेना, रेलवे और बड़े प्राइवेट हॉस्पिटलों की कुल संख्या 32 हज़ार है और इनमे कुल बेड की संख्या टोटल चार लाख के करीब है और यदि प्राइवेट हॉस्पिटल की संख्या पर नजर डाले तब उनकी संख्या ७० हज़ार के पार है इसमें क्लीनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर, कम्युनिटी सेंटर भी शामिल है ऐसे में कुल बेड की संख्या करीब १० लाख है ये आकड़े नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 के पर आधारित है और भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारत में करीब 1700 लोगों पर एक बेड है।अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम कोव-इंड-19 का दावा है कि यही रफ्तार रही तो अगस्त के मध्य तक 1 लाख से 13 लाख तक संक्रमितों की संख्या पहुंच सकती है। अब आईसीयू और वेंटिलेटर की स्थिति पर भी नजर डालते है तो उनकी भी संख्या बहुत कम है इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर के मुताबिक, देश भर में तकरीबन 70 हजार आईसीयू बेड हैं। जबकि 40 हजार वेंटिलेटर मौजूद है। इसमें भी महज 10 प्रतिशत ही खाली हैं। ऐसी स्थिति से निपटने लिए भारत में मौजूदा मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल उपकरण नाकाफी है।
अब नजर डालते है डॉक्टरों की संख्या पर—
डॉक्टरों की संख्या पर नजर डाली जाए तो यह भी जरूरत की अपेक्षा बहुत कम है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के मुताबिक देश भर में 2018 तक साढ़े 11 लाख एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि हर 1 हजार मरीज पर 1 डॉक्टर का होना चाहिए। 135 करोड़ की भारत की जनसंख्या में डॉक्टरों की संख्या बेहद कम है और डब्ल्यूएचओ के नियम के मुताबिक़ तो बिलकुल भी नहीं है।
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