
विभागीय अधिकारियों और बिल्डरों के साठगाँठ से बनकर खड़ा हो गया मौत का नया कब्रिस्तान
ब्यूरो रिपोर्ट नई दिल्ली
ग़ाज़ियाबाद में शाहबेरी में १८ जुलाई २०१८ में बिल्डिंग गिरने की घटना लोग भूले भी नहीं थे कि नोएडा सेक्टर 11 में निर्माणाधीन बिल्डिंग गिरने के बाद पूरे मामले ने जोर पकड़ लिया, प्रशासन ने पूरी घटना को बहुत गंभीरता से ले लिया इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लेते हुए राहत और बचाव के निर्देश दिए थे लगातार हो रही घटना को फोकस में रखते हुए डिस्कवरी न्यूज़ ने अपने इस अवैध निर्माण मुहीम में पाया की शाहबेरी घटना के तर्ज़ पर एक और मौत का नया कब्रिस्तान खड़ा कर दिया गया है” जनहित आवास योजना ” छपरौला नाम के इस प्रोजेक्ट में सूत्रों ने दावा किया है की बिल्डिंग निर्माण में सारे मानकों की घज्जिया उड़ा कर रख दी गयी है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे प्रोजेक्ट में कही से कुछ भी सही नहीं है लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न ये खड़ा होता है प्रशासन के नाक के नीचे इतना बड़ा प्रोजेक्ट खड़ा हो गया और आला अफसरों को इसके नींव की गहराई तक पता ही नहीं चली ,सूत्रों का कहना है की रेरा में जो बिल्डिंग मैप प्रदान की गयी है वो नक्शा किसी भी अथॉरिटी से पास नहीं है साथ ही साथ NGT एवं फायर डिपार्टमेंट से प्रोजेक्ट ने कोई NOC नहीं ली गई है इससे साफ जाहिर है बिना ऊपरी लोगो के मिलीभगत से इतना बड़ा प्रोजेक्ट खड़ा ही नहीं हो सकता | भू माफिया अवैध तरीके से बिल्डिंग खड़ी करके गरीब परिवारों की जीवन भर की कमाई ” मोदी जी का सपना हर व्यक्ति का घर हो अपना ” के तर्ज़ पर धोखे से लगवा देते है
और प्रशासन की नींद टूटती है बिल्डिंग गिरने के बाद |गरीब वर्गों को बिल्डर गुमराह करने के लिए अवैध मानकों के तहत बने बिल्डिंग प्रोजेक्ट नामकरण भी ऐसे करते है जैसे कोई सरकारी योजना हो जब इसके तह की गहराई नापी जाती है तब मालूम चलता है की इसका सरकारी योजना से कोई लेना देना नहीं है
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